इस पोस्ट में हम हन्टर शिक्षा आयोग [Hunter Education Commission (1882-83)] के गठन के कारण,उसकी सिफारिशों और सिफारिशों के परिणाम के बारे में पढ़ेंगे | यह पोस्ट उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगी जो किसी भी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, IAS, PCS, NDA, CDS, CAPF, SSC, Bank, UPPCS, MPPSC, RPSC, State PCSs, UPSSSC, state SSCs, इत्यादि की तैयारी कर रहे हैं |

हन्टर शिक्षा आयोग | Hunter Education Commission (1882-83): संक्षिप्त विवरण
हन्टर शिक्षा आयोग | Hunter Education Commission (1882-83) | |
हन्टर शिक्षा आयोग का गठन कब हुआ ? | 1882 |
हन्टर शिक्षा आयोग के अध्यक्ष कौन थे ? | विलियम विल्सन हन्टर |
हन्टर शिक्षा आयोग का संबंध किस वायसराय के कार्यकाल से है ? | लॉर्ड रिपन |
हंटर शिक्षा आयोग का संबंध मुख्यत: शिक्षा के किस क्षेत्र से था ? | प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा |
हन्टर शिक्षा आयोग का परिचय
वुड डिस्पैच द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा के लिए लार्ड रिपन के कार्यकाल में विलियम विल्सन हन्टर की अध्यक्षता में 1882 में एक आयोग का गठन किया गया। इस आयोग में कुल 20 सदस्य थे जिसमें 8 सदस्य भारतीय थे। ज्ञातव्य है कि इस समय (1880) इंग्लैण्ड में ग्लैडस्टन के नेतृत्व में उदारवादी दल का शासन था।
इस आयोग का कार्य केवल प्राथमिक शिक्षा के विकास की समीक्षा कर सुझाव प्रस्तुत करना था, किन्तु आयोग ने माध्यमिक शिक्षा के लिए भी सुझाव प्रस्तुत किया था। इसने सभी प्रांतो में भ्रमण किया और लगभग 200 प्रस्ताव पारित किया। इसके प्रमुख सिफारिश निम्नलिखित है:
हन्टर शिक्षा आयोग की सिफारिश
1. प्राथमिक शिक्षा के विकास और सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाए और वह शिक्षा स्थानीय भाषा या मातृभाषा में हो। उसका नियंत्रण जिला और नगर बोर्डो को सौंपा जाए। इस निमित्त शिक्षा उपकर भी लगाया जा सकता है। .
2. माध्यमिक शिक्षा दो प्रकार की हो, एक साहित्यिक शिक्षा जो उच्च स्तर या विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए हो तथा दूसरी व्यावसायिक या व्यापारिक शिक्षा दी जाए।
3. शिक्षा के विकास हेतु व्यक्तिगत प्रयासों को प्रोत्साहित करना तथा अनुदान उपलब्ध कराना। किन्तु प्राथमिक शिक्षा का संचालन सरकार द्वारा किया जाए।
4. प्रेसीडेन्सी नगरों के अलावा अन्य सभी स्थानों पर महिला शिक्षा के लिए विशेष व व्यापक प्रयास किये जाएँ।
सिफारिशों के परिणाम
हन्टर शिक्षा आयोग द्वारा दिये गये सुझावों के पश्चात् आने वाले 20 वर्षों में माध्यमिक शिक्षा और कालेज शिक्षा का तीव्रतम् विकास हुआ। व्यावसायिक एवं तकनीकी कालेजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। पाश्चात्य ज्ञान के अतिरिक्त भारतीय भाषाओं के विकास में तेजी आई। कालान्तर में 1882 में पंजाब और 1887 में इलाहाबाद में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
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